Thursday, September 12, 2013

कांग्रेस की राजनीति ग़रीबों के इर्द-गिर्द ही क्यों घूमती है?


Raipur, September 12, 2013

राहुल गाँधी कहते हैं कांग्रेस हमेशा से ग़रीबों की लड़ाई लड़ रही है। सही बात है। पिछले साठ वर्षों से कांग्रेस ने ग़रीबों के लिए ऐसी लड़ाई लड़ी कि मध्यम वर्ग के लोग ग़रीब हो गए और ग़रीब बन गए भिखारी। बच गए अमीर - जो कांग्रेसी खाद खाकर और अमीर हो गए। 

परंतु राहुल जी, आपका मंतव्य यह नही है। आप तो दरअसल यह दर्शाना चाहते हैं कि भारतवर्ष मे यदि कोई राजनैतिक दल ग़रीबों का मसीहा है तो वह है कांग्रेस। और यह आप इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आप जानते हैं कि आपके दल ने कभी ग़रीबों को आर्थिक रूप से मजबूत होने नही दिया। तंगहाली और परेशानियों मे जीने वाला ग़रीब आपके दल की झूठी संवेदनाओं मे अपना सुनहरा भविष्य खोजने लगता है और इसी भावावेश मे आपको फिर वोट दे बैठता है। 

राहुल यदि यह कहते हैं कि ग़रीबी एक मानसिकता है तो सत्य कहते हैं। महलों मे रहने वाले लोग ग़रीबी के यथार्थ को कतई स्वीकार नही कर सकते। उनके लिए ग़रीब केवल कहानियों के कमजोर पात्र हैं। इसलिए गंदगी से बजबजाति नालियों के मुहाने जर्जर झोपड़ियों मे रहने वाले चीथड़ों मे लिपटे हुए लोग उनको व्यथित नही करते क्योंकि उनकी सरकार तो इन्हें ग़रीब मानती ही नही। 

राहुल यह भी कहते हैं कि वे आम जनता के सपनो को पूरा करने के लिए अपने सपनों को कुचलने के लिए तैयार हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि कांग्रेस राज मे आम जनता को नींद ही नही आती, वह सपने क्या खाक देखेगी। 

दरअसल कांग्रेस राज मे सपने देखने का हक केवल नेहरू-गाँधी परिवार को होता है। इस बात का इतिहास भी साक्षी है। पूर्व मे नेहरू ने अपने सपनों को साकार करने के लिए जनता के सपनों को दरकिनार कर दिया। वरना सरदार पटेल प्रधानमंत्री होते और सुभाष चंद्र बोस भारत आ जाते। फिर इंदिरा की महत्वाकांक्षा, संजय के तेवर, राजीव की अधीरता ने कितनों के सपने कुर्बान किए, कौन जानता है। सोनिया प्रधानमंत्री बनना चाहती थीं, नही बन सकीं। अब हठ तो पूरा करना ही था। इसलिए उन्होने प्रणब जैसे काबिल व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद से वंचित कर मनमोहन को तरजीह दी। कारण साफ था और मंशा एक ही थी - रोबोट को चलाने वाला रिमोट अपने पास रखना। इसलिए आपके मुँह मे ऐसी आदर्शवादी बातें शोभा नही देती। बेहतर है, सत्य बोलिए और कहिए कि आप प्रधानमंत्री बनने का सपने देख रहे हैं और वो भी अपने दल के काबिल दावेदारों के सपनों को कुचलकर।

परंतु राहुल को एक बात ध्यान रखना चाहिए - आम चुनाव मे जनता उनकी तुलना करेगी नरेंद्र मोदी से। यह तुलना होगी अपरिपक्वता व अनुभव की। देश का हाल किसी से छुपा नही है। हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। केवल ग़रीबी का राग अलापने से कुछ हासिल नही होगा, स्वयं को काबिल साबित करने के लिए सुधारवाद की प्रक्रिया मे अपना योगदान देना होगा। राहुल जी, पहले कुछ उपलब्धि हासिल कर लें फिर उच्च पद की दावेदारी ठोकें, जनता ज़रूर सुनवाई करेगी।

दिग्विजय सिंह जी, बड़बोलापन ठीक नही..

Raipur, July 09, 2013

दिग्विजय सिंह जी, पिछले कुछ वर्षों से आप भाजपा नेताओं पर लगातार हमला बोल रहे हैं। आश्चर्य है, आपके इतना चीखने-चिल्लाने के बावजूद वरिष्ठ भाजपा नेता आपके खिलाफ एक शब्द नही बोलते। इसका अर्थ तो यही है कि भाजपा की नज़रों मे आपका अस्तित्व शून्य है। 

यही हाल आपका अपने दल मे भी है, आप जब-जब भाजपा के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करते हैं, आपका दल आपसे किनारा कर लेता है। 

दिग्विजय सिंह जी, इस तरह की हल्की व फालतू बातें कर अपनी उर्जा का ह्रास ना करें, बल्कि ऐसा सकारात्मक कार्य करें जिससे आपका दल 2019 के आम चुनाव मे अपनी दावेदारी मजबूती के साथ पेश कर सके।

रही बात 2014 के आम चुनाव की - तो उसमे कांग्रेस का क्या हाल होगा आप भी जानते हैं क्योंकि आपके दल की गिरती साख की एक वजह आप और बेनी जैसे व्यक्ति हैं। हाँ, 2014 के चुनाव परिणाम के बाद आपका दल आपकी क्या दुर्दशा करेगा शायद आप नही जानते, लेकिन जनता जानती है, इसलिए बड़बोलापन ठीक नही, यदि जनता ने बोलना आरंभ कर दिया तो आप खामोश हो जाएँगे..

सीडी का डर


Raipur, July 07, 2013


मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री राघव की अश्लील सीडी के खुलासे से छत्तीसगढ़ के एक बदतमीज़ मंत्री के होश फाख्ता हो गए हैं। इस मंत्री को डर है कि कहीं उसके दुर्व्यवहार से पीड़ित उसका कोई नौकर, समर्थक अथवा दल का कार्यकर्ता उसके भ्रष्टाचार, व्यभिचार और अनाचार की सिलसिलेवार कहानी सीडी मे जारी ना कर दे। 


इस सिरफिरे मंत्री का भय जायज़ है क्योंकि इसने प्रदेश मे ऐसी गंदगी मचा रखी है कि इसके सहयोगी मंत्री एवम् दल के कार्यकर्ता भी तंग आ गए हैं। इस असभ्य भाषी मंत्री के तू-तड़ाक वाले रवैये से अनेक समर्पित कार्यकर्ता आहत हैं। अधिकांश कार्यकर्ता कामना कर रहे हैं कि आने वाले विधान सभा चुनावों मे इसकी जमानत जब्त हो जाए - जो कि संभव है। 



कहते हैं पिछले दस सालों मे इस मंत्री ने जितना कमाया है उतना किसी कांग्रेसी मंत्री ने साठ सालों मे नही कमाया होगा। बहुतों को उसकी हार का इंतज़ार है - वह हारा और वे उसपर टूट पड़ेंगे। बहरहाल इस मंत्री से पीड़ित लोग इसका हश्र राघव की भाँति होता देखना चाहते हैं - केवल इंतज़ार है तो एक गंदगी सॉफ करने वाले पटेरिया का !!!

We don't want politicians in disaster-hit places


Dear politicians,

Kindly stay away from Uttarakhand and never try to visit any of the disaster-hit places in future. The entire humankind is ashamed of your existence on earth. 

The people were dying in Uttarakhand and you were counting them as your vote bank. Shame on you! This is height of impassivity. 

For you people, it is not a disaster in Uttarakhand but a debatable subject to discuss on in print, electronic and social media. You guys are asking each other's party not to politicize the incident but are doing the same on daily basis. 

While you people don't do anything except barking, see how silently and gravely the army jawans are rescuing every victim. At least, try to learn from them and if you can't do anything for the victims, just donate all your money for relief operations. 

I was thinking to write some lines to pay tribute to the people who fell prey to the nature's fury in the Himalayan state but couldn't as I failed to find appropriate words but you politicians are talking in volumes about this incident. I urge you to stop all your nonsense talks and shove off from Uttarakhand right now.