Wednesday, May 18, 2011

फिर वहां होगा बसेरा, तुम जहां भी ले चलो..


तुम अगर दो साथ मेरा
मैं ज़माना छोड़ दूंगा
फिर वहां होगा बसेरा
तुम जहां भी ले चलो

महका करेगा ये चमन 
महकी करेंगी वादियाँ
अतृप्त उर की प्यास भी
बुझा के न थकेंगी नदियाँ 

गर प्रवाह जीवन का बनो तुम
संघर्ष करना छोड़ दूंगा
फिर वहां होगा बसेरा
तुम जहां भी ले चलो

फिर श्वांसें मेरी लय पा सकेंगी 
आँखें भी छलछला  सकेंगी
सर पे जो मेरे दामन हो तेरा 
नींदें भी मीठी आ सकेंगी

गर गोद में अपने, सर रख दो मेरा
मैं ख्वाब देखना छोड़ दूंगा
फिर वहां होगा बसेरा
तुम जहां भी ले चलो


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